आज के दौर में अपने आप को स्थापित कर पाना एक मुश्किल भरा कार्य होता हैं, ऐसे में आदर्शवादी सिद्धांत । के साथ पूरी सक्रियता से न सिर्फ अपने आप को स्थापित किया, बल्कि अन्य सभी के लिए प्रेरणा के पात्र बने। नाम के अनुरूप साहू समाज के लिए गौरव, आदर्श व्यक्तित्व के धनी कुरूद निवासी श्री प्रेमलाल साहू जी की अपनी अलग पहचान है। स्वच्छ एवं निर्भीक पत्रकारिता की एक नई परिभाषा लिखकर जन मानस के बीच लोकप्रिय हुए। आज क्षेत्र के साथ पूरे प्रदेश में श्री साहू जी का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है....
नाम - मिथलेश साहू पिता का नाम : स्व. श्री जीवन लाल साहू जन्मतिथि 28.06.1960 शैक्षणिक योग्यता: एम.ए. समाजशास्त्र, बी.एड. व्यवसाय शिक्षक (आदिम जाति कल्याण विभाग) 02 जुलाई 1984 से अब तक वर्तमान में कार्यरत शा.उ.मा.वि. फुलकर्रा विकासखण्ड गरियाबंद, जिला-गरियाबंद (छ.ग.) निवास ग्राम-बारू, पोस्ट पौड़, तहसील-गरियाबंद, जिला-गरियाद (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी लोक कला मंच में एक मीठी आवाज के साथ गायन एवं अभिनय से सबका मन मोह लेने में। महारत हासिल व्यक्तित्व के धनी है श्री मिथलेश साहू। जिन्होंने बचपन की छोटी उम्र से लोक कला को अपने में अंदर समेटे हुए हैं। अपने अभिनय एवं गायन प्रतिभा का लोहा मनवा चुके श्री साह का नाम छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य प्रांतो में भी प्रसिद्ध है। लोक कला को अपने जीवन का महत्वपूर्ण अंग बनाकर पूरे जीवन समर्पित भाव से कार्य करते आ रहे।
स्वर्गीय दुलारसिह दाऊ जी के मंदराजी नाम पर एक कहानी है। बचपन में बड़े पेटवाला एक स्वस्थ दुलारसिंह आंगन में खेल रहा था। आंगन के ही तुलसी चौरा में भद्रासी की एक मूर्ति थी। नानाजी ने अपने हंसमुख स्वभाव के कारण बालक दुलारसिंह को मद्रासी कह दिया था और यही नाम प्रचलन में आकर बिगड़ते-बिगड़ते मुद्रासी से मंदराजी हो गया।
संगीत विरासत में: बचपन से ही बाल मित्रों के साथ तालाब के किनारे वृक्षों के छाव तले, खेत के मेढ़ में गुन गुनाते रहे, सुर मेसुर मिलाते रहे, यही सुर संगम, विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आवाजों - स्वरों का रूपाकार, लोक संगीत की मिठास का नाम है खुमान साय । सन् 2016 में श्री खुमान साव को लोक कला के क्षेत्र में अनुकरणीय एवं सराहनीय कार्य के लिए राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत भी हो चुका है। संपन्न कृषक जमीदार दाऊ श्री टीकमनाथ साव पिता श्री का स्नेहासिक्त पुत्र श्री खुमान लाल साय का जन्म 5 सितम्बर 1932 को ग्राम खुरसी टिकुले (चौकी यांधा रोड) जिला राजनांदगांव में हुआ।