Sant Santaji Maharaj Jagnade
रायपुर छत्तीसगढ़ हरदिहा साहू समाज रायपुर परी क्षेत्र की 9 मार्च की बैठक रविवार को समाज के रायपुर समाज भवन में समाज के अध्यक्ष को पूर्व विधायक नंदकुमार साहू के मार्गदर्शन में हुई. बैठक को संबोधित करते हुए समाज अध्यक्ष नंद साहू ने कहा समाज की महिलाओं की जागृति से मंदिरा पार्क की समस्या में कमी आई है. जिससे परिवार में झगड़े कम हो रहे हैं. हम सबको मिलकर मजरा पार्क के खिलाफ सतत प्रयास करना होगा.
माँ कर्माबाई का जीवन परिचय, Maa Karma Devi Jivan Parichay साहू तेली समाज की आराध्य देवी ![]()
जन्म:- पाप मोचनी एकादशी संवत् 1073 सन् 1017ई0 माँ कर्मा आराध्य हमारी, भक्त शिरोमणी मंगलकारी। सेवा, त्याग, भक्ति उद्धारे, जन-जन में माँ अवतारे।।
परम् आराध्य साध्वी भक्ति शिरोमणी माॅ कर्माबाई देश-विदेश में आवासित करोड़ो-करोड़ो सर्व साहू तेली समाज की आराध्य देवी कर्माबाई की गौरव गाथा जन-जन के मानस में श्रद्धा भक्ति के भाव से विगत हजारों वर्षो से अंकित चली आ रही है। इतिहास के पन्नों पर उनकी पावन गाथा तथा उसने सम्बन्धित लोकगीत किंवदतिया और आख्यान इस बात के प्रमाण है कि माॅ कर्मबाई कोई काल्पनिक पात्र नहीं है। माॅ कर्माबाई का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी नगर में चैत्र कृष्ण पक्ष के पाप मोेचनी एकादशी संवत् 1073 सन् 1017ई0 को प्रसिद्ध तेल व्यापारी श्री राम साहू जी के घर में हुआ था।
Some Other link of Maa Karma devi
रायगड जिल्हा कोकणस्थ तेली समाज सेवा संस्था हि रजि.
४० वर्षा पूर्वीची असुन त्यात सर्व कोकणस्थ तेली बांधव आहेत .(रायगड जिल्हा पुर्ति मर्यादित नसून सर्व कोकणस्थ तेली बांधवसाठी आहे),
जालौन । दिनाँक 09/05/16 को साहू समाज समिति जालौन द्वारा सामूहिक विवाह एवं छात्र-छात्रा अभिन्नदन समारोह आयोजित किया गया । जिसमें मुख्यअतिथि कैलाश साहू पूर्व विधायक झाँसी /प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश तैलिक साहू महासभा थे ।
तैलप तृतीय का पुत्र सोमेश्वर चतुर्थ (1181-1189 ई) चालुक्य वंश का अन्तिम शासक हुआ । वह पराक्रम से कल्याणी को पुन: जीतने में कामयाब रहा । लेखों में उसे चालुक्याभरण श्रीमतत्रैलोक्यमल्ल भुजबलबीर कहा गया है । सभ्भवत: भुजबलबीर की उपाधि उसने कलचुरियो के विरुद्ध सफलता के उपलक्ष्य में ही धारण की थी । एक लेख में उसे कलचुरिकाल का उन्मूलन करन वाला (कलचूर्यकाल निर्मूलता)कहा गया है । इस प्रकार सामेश्वर ने चालुक्य वंश की प्रतिष्ठा को फिर स्थापित किया । कुछ समय तक वह अपने साम्राज्य को सुरक्षित बचाये रखा । परन्तु उसके राज्य में चारो ओर विद्रोह हो जाने के कारण स्थिति को संभाल नहीं सका । 1190 ई. के लगभग देवगिरी के यादवों ने परास्त कर चालुक्य राजधानी कल्याणी पर अधिकार कर लिया ।