तैलप तृतीय का पुत्र सोमेश्वर चतुर्थ (1181-1189 ई) चालुक्य वंश का अन्तिम शासक हुआ । वह पराक्रम से कल्याणी को पुन: जीतने में कामयाब रहा । लेखों में उसे चालुक्याभरण श्रीमतत्रैलोक्यमल्ल भुजबलबीर कहा गया है । सभ्भवत: भुजबलबीर की उपाधि उसने कलचुरियो के विरुद्ध सफलता के उपलक्ष्य में ही धारण की थी । एक लेख में उसे कलचुरिकाल का उन्मूलन करन वाला (कलचूर्यकाल निर्मूलता)कहा गया है । इस प्रकार सामेश्वर ने चालुक्य वंश की प्रतिष्ठा को फिर स्थापित किया । कुछ समय तक वह अपने साम्राज्य को सुरक्षित बचाये रखा । परन्तु उसके राज्य में चारो ओर विद्रोह हो जाने के कारण स्थिति को संभाल नहीं सका । 1190 ई. के लगभग देवगिरी के यादवों ने परास्त कर चालुक्य राजधानी कल्याणी पर अधिकार कर लिया ।
१३/३/१६ को केरल मे भारतीय तैलिक साहू राठौर महासभा ईकाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे भा. ते. साहू राठौर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रेरणा स्रोत मा. श्री रामनरायन साहू जी (पूर्व राज्यसभा सदस्य) ओर वरिष्ठ समाज सेवी मा.श्री सोमा भाई मोदी जी(प्रधानमंत्री मा. श्री नरेन्द्र भाई जी के बडे भाई)विशेष रूप से उपस्थित रहे।
अखिल भारतीय साहू वैश्य महासभा मध्यप्रदेश द्वारा सिंहस्थ में आयोजित कार्यक्रम में दिनांक 1/5/2016 को श्री राम कथा जिसमभव्य कलश यात्रा निकाली गई. यात्रा मंगलनाथ से प्रारंभ हुई | साहू सामाज बडी भारी संख्या मै उपस्थीत था |
श्री. संताजी बहुउद्देशिय सेवा मंडळ, भंडारा.
रजि नं. 9744/03/भंडारा
द्वारा आयोजित
तेली समाज सामुहिक विवाह सोहळा, भंडारा.
जानवसास्थळ : संताजी मंगल कार्यालय, भंडारा.
शनिवार दि. 7 मे 2016, स. 10.55 वा.
विवाह स्थळ : लाल बहाद्दुर शास्त्री (मन्रो) शाळा, शास्त्री चौक, भंडारा
Teli Samaj bhandara samudayik vivah sohala
घांची जाति का उदभव क्षत्रिय जाति से हुआ है इसलिये घांची समाज को क्षत्रिय घांची समाज के नाम से भी जाना जाता है इसके पीछे एक एतिहासिक कहानी है कि पाटण के राजा जयसिंह सिद्धराज सोलंकी के नवलखा बाग में रोज रात को देवलोक से परियां पुष्प चोरी करके ले जाती थी जिस पर पंडितों ने सलाह दी की देवलोक में बैंगन का पौधा अपवित्र माना जाता है इसलिये फुलों के पास में बैंगन का पौधा लगा देने से परियां पुष्प चोरी नहीं कर सकेगी।