रायपुर शहर छत्तीसगढ़ की राजधानी है | इस शहर में डेढ़ से दो लाख साहू रहते हैं जो पांच फिरकों में बंटे हैं | सर्वाधिक जनसँख्या हरदिहा साहू समाज की है ,दुसरे क्रम पर झरिया साहू हैं जिनमें अधिकांश अप्रवासी हैं जो आसपास के इलाकों से शिक्षा या रोजगार के लिए आकार बसे हैं | तीसरे क्रम में तरहाने तेली समाज है जो मराठी भाषी हैं और लगभग 200 वर्षों से निवासरत हैं |
रायपुर शहर में समाज के विवाह योग्य युवा - युवतियों का परिचय सम्मेलन था | रंग मंदिर में आयोजित परिचय -सम्मेलन का है | इस सभागृह की अधिकतम क्षमता 1000 है | दोपहर 3 बजे मंच में अखिल भारतीय तैलिक - साहू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सिया राम साहू एवं राष्ट्रिय उपाध्यक्ष श्री मोती लाल साहू उपस्थित थे तब पूरा सभागृह खचाखच भरा हुआ था और उतने ही लोग बाहर अपनी बारी का प्रतीक्षा कर रहे थे |
जब कोई बड़ा इतिहासकार या मानव शास्त्री ' तेली ' का उल्लेख करता है तब अच्छा लगता है , पुरातन ग्रंथकार तो तेली समाज को केवल नीचा दिखाने का ही काम किये थे |
प्रसिद्द भारतीय मानवशास्त्री पटनायक एवं रे ने अपने शोध ग्रन्थ में लिखा है " सन 1959 में अखिल ओड़िसा तेली कांग्रेस का सम्मेलन बुलाया गया जिसमें ओड़िसा के तीन प्रमुख तेली जातियों के प्रमुख आये |
केरल में " शनिवारी तेली " बड़ी संख्या में निवासरत हैं इनका पैत्रिक व्यवसाय तेल का व्यापार ही है | शनिवारी तेली को बेनेइजराइल भी कहते हैं क्योंकि इनके पूर्वज इजराइल से आये थे और हिन्दू नहीं यहूदी धर्म के अनुयायी हैं |
श्री संताजी जगनाड़े महाराज हे,
संत तुकाराम महाराज यांचे शिष्य होते
असा भ्रामक व खोटा प्रचार ब्राह्मणवाद्यान कडून केला जातो
कोणीही वारकरी संत स्वतःला श्रेष्ठ व दुसऱ्याला आपल्या पेक्षा छोटा समजत नसे
वस्तुतः सर्वच संत हे एकमेकांना
भाऊ - गुरुभाई मानत असे